अभिमन्यु वध पंडित रामचंद्र शुक्ल ‘सरस’ द्वारा रचित ब्रज भाषा का खंड काव्य है। भारतीय साहित्य की इतिहास प्रसिद्ध कथा महाभारत के अमर पात्र अभिमन्यु को आधार बना कर इस खंड काव्य की रचना की गई है। स्वयं लेखक ने अपनी रचना के लिये प्रेरणा स्रोत महाभारत को माना है। अभिमन्यु महाभारत कथा-वितान में सिर्फ अंतिम युद्ध के समय आता है, लेकिन उसके वीरोचित पराक्रम और उसके छलपूर्ण मृत्यु ने उसकी अमरता को पुष्ट कर दिया। राज्य व्यवस्था में युद्ध के भी अपने नियम होते थे। शत्रुता कितनी भी भयानक क्यों न हो, युद्ध अन्तराल के बीच में प्रतिस्पर्धी योद्धा मुक्त भाव से मिलते थे, किसी प्रकार के छल-कपट की गुंजाईस नहीं थी। वैसे ही निहत्थे योद्धा पर अस्त्र नहीं उठाने का नियम था। लेकिन महाभारत के युद्ध में इस तरह के नियम का सरेआम उलंघन किया गया। अभिमन्यु जैसे निहत्थे वीर पर प्रतिपक्षियों ने मिलकर वार किया और उसका वध कर दिया। लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से अभिमन्यु के जन्म के पूर्व की कथा से लेकर, उसके जन्म तथा उसके वीरोचित गुणों की अनन्य प्रसंशा की है।