स्वाधीनता - महावीर प्रसाद द्विवेदी

स्वाधीनता

Por महावीर प्रसाद द्विवेदी

  • Fecha de lanzamiento: 2016-12-22
  • Género: Filosofía

Descripción

हिन्दी गद्ध्य साहित्य के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगविधायक महावीर प्रसाद द्धिवेदी की लिखी हुई 'स्वाधीनता' जॉन स्टुअर्ट मिल के 'ऑन लिबर्टी' का अनुवाद है। इसमें लेखक ने स्वाधीनता अर्थात आज़ादी का वर्णन किया है जिसका सम्बन्ध समाज से है। बहुत से आदमियों के जमाव को जन-समूह, लोक-समुदाय या समाज कहते हैं; और एक आदमी को व्यक्ति या व्यक्ति-विशेष। आदमियों का समाज एक दूसरे के फायदे के लिए इकठ्ठा रहता है। जन-समूह बहुत से ऐसे नियम और बन्धन बनाता है जिन्हें हर आदमी को मानना पड़ता है। इस लेख में इस बात का विचार किया गया है कि व्यक्ति-विशेष के लिए समाज के द्धारा कब, कहाँ तक और किस प्रकार का बन्धन बनाया जाना उचित होगा। किस दशा में, किस हालत में, समाज के बनाये हुए नियम, हर आदमी को मानना मुनासिब समझा जायेगा।